Navratri 2025: देवी के 9 रूप और उनसे जुड़ी कहानियां जो हर घर को प्रेरणा देती हैं

प्यारे सनातनी भाईयों और बहनों 

( Navratri 2025) नवरात्रि के ये 9 दिन सिर्फ व्रत और पूजा भर नहीं हैं। ये समय है जब हम अपने घर की नई पीढ़ी को संस्कृति और देवी शक्ति की कहानियों से जोड़ सकते हैं।

आजकल बच्चे किताबों और स्कूल की पढ़ाई में तो बहुत कुछ सीखते हैं, लेकिन अपने ही त्योहारों के गहरे अर्थ उन्हें तभी समझ आते हैं जब माता-पिता थोड़ी सी मेहनत करके उन्हें कहानियों और visuals के जरिए समझाएँ।

इस लेख को आप ऐसे समझिए—ये आपके लिए एक छोटा-सा सहारा है, जिससे आप हर दिन की देवी का महत्व, उनकी कथा, उनसे मिलने वाली प्रेरणा और पूजन-विधि बच्चों को आसानी से समझा सकेंगे। और सबसे खास बात – इसी आर्टिकल के बीच आपको दो Web Stories भी मिलेंगी जिन्हें बच्चे देख कर तुरंत connect कर पाएंगे।

इस साल नवरात्रि 2025 ( Navratri 2025) की शुरुआत 22nd सितम्बर (सोमवार) से होगी और इसका समापन 1st अक्टूबर (बुधवार) को होगा। इन 9 दिनों में माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।

देवी के 9 रूप – कथा, पूजन और प्रेरणा

कहानी: मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। पिछले जन्म में वे सती थीं, जिनका विवाह भगवान शिव से हुआ था। जब पिता दक्ष ने शिव का अपमान किया तो सती ने स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया। अगले जन्म में वे पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्मीं। उनके हाथ में त्रिशूल और कमल है, और वे वृषभ पर सवार हैं।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “जैसे पहाड़ कभी हिलते नहीं, वैसे ही हमें भी कठिनाइयों में स्थिर और मजबूत रहना चाहिए।”

पूजन विधि: पीला वस्त्र शुभ है, घी का दीपक जलाएँ।

मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः

क्या मांगें: जीवन में स्थिरता और सुरक्षा।

कहानी: मां ब्रह्मचारिणी का रूप तपस्या और संयम का प्रतीक है। उन्होंने वर्षों तक कठिन तपस्या करके भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया। उनके हाथ में जपमाला और कमंडल रहता है।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “मेहनत और धैर्य से हर सपना पूरा होता है।”

पूजन विधि: हरा रंग शुभ, शक्कर और फल का भोग।

मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः

क्या मांगें: ज्ञान और संयम।

कहानी: मां चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र की घंटी के आकार का चिन्ह है। वे शेर पर सवार होती हैं और उनके दस हाथों में विविध शस्त्र होते हैं। जब राक्षसों ने देवताओं को सताया, तब देवी ने यह रूप धारण कर युद्ध किया।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “अगर हम साहस से काम लें तो डर हमसे दूर भागता है।”

पूजन विधि: धूप–दीप से आरती करें, खीर का भोग लगाएँ।

मंत्र: ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः

क्या मांगें: भय से मुक्ति।

कहानी: मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की जननी माना जाता है। उन्होंने अपनी दिव्य मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की रचना की। उनके आठ हाथ होते हैं और वे सिंह पर सवार होती हैं।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “मुस्कान और सकारात्मक सोच से सब संभव है।”

पूजन विधि: नारंगी वस्त्र पहनें, मालपुआ चढ़ाएँ।

मंत्र: ॐ देवी कुष्माण्डायै नमः

क्या मांगें: स्वास्थ्य और समृद्धि।

कहानी: मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। वे कमल पर विराजमान होती हैं और गोद में स्कंद को धारण करती हैं। उनके चार हाथ हैं जिनमें कमल और आशीर्वाद का वरद मुद्रा होता है।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “माँ का स्नेह हमें हर कठिनाई से लड़ने की ताकत देता है।”

पूजन विधि: सफेद वस्त्र पहनें, केले का भोग।

मंत्र: ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः

क्या मांगें: संतान सुख और बुद्धि।

कहानी: ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। राक्षस महिषासुर का वध करके इन्होंने देवताओं को भय से मुक्त कराया। ये सिंह पर सवार होती हैं और हाथों में तलवार और कमल धारण करती हैं।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से सब रिश्ते मजबूत होते हैं।”

पूजन विधि: लाल रंग शुभ है, शहद का भोग।

मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः

क्या मांगें: विवाह और रिश्तों में सुख।

कहानी: मां कालरात्रि का स्वरूप सबसे उग्र है। उनका रंग श्याम है, गले में बिजली जैसी चमकती माला है और वे गधे पर सवार होती हैं। उन्होंने शुम्भ-निशुम्भ और रक्तबीज जैसे असुरों का संहार किया।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “कभी-कभी सख्त रूप अपनाना भी जरूरी होता है बुराई से लड़ने के लिए।”

पूजन विधि: नीले वस्त्र शुभ, गुड़ का भोग।

मंत्र: ॐ देवी कालरात्र्यै नमः

क्या मांगें: संकट से मुक्ति।

कहानी: मां महागौरी का रूप शांति और सौंदर्य का प्रतीक है। कहा जाता है कि कठिन तपस्या के कारण उनका शरीर काला हो गया था, परंतु गंगा स्नान के बाद वे अत्यंत गौरवर्ण हो गईं। वे वृषभ पर सवार होती हैं और उनके हाथ में त्रिशूल और डमरू है।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “सच्चाई और पवित्रता से ही जीवन सुंदर बनता है।”

पूजन विधि: गुलाबी वस्त्र, नारियल का भोग।

मंत्र: ॐ देवी महागौर्यै नमः

क्या मांगें: सुख-शांति और पवित्रता।

कहानी: मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। उनके चार हाथ हैं और वे कमल पर विराजमान होती हैं। भगवान शिव ने भी उनसे सिद्धियां प्राप्त कीं।

बच्चों को ऐसे समझाएँ: “ज्ञान और आशीर्वाद से ही सफलता मिलती है।”

पूजन विधि: बैंगनी रंग शुभ, तिल और हलवा का भोग।

मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः

क्या मांगें: ज्ञान और सफलता।

नवरात्रि पूजा विधि और व्रत विधान

पूजा विधि

  1. घर की शुद्धि – नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की अच्छी तरह सफाई करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. कलश स्थापना – मिट्टी के पात्र में जौ बोकर उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर नारियल, आम के पत्ते और लाल वस्त्र रखें।
  3. माता का आह्वान – देवी की मूर्ति या चित्र को सजाकर उसके सामने दीपक, अगरबत्ती और फूल अर्पित करें।
  4. नौ ज्योत – माता के नौ रूपों की आराधना के लिए अखंड ज्योति प्रज्वलित करें।
  5. भोग और नैवेद्य – प्रत्येक दिन माता को फल, दूध, मिष्ठान या विशेष प्रसाद (जैसे पहले दिन घी, दूसरे दिन शक्कर, आदि) अर्पित करें।
  6. आरती और स्तुति – दुर्गा सप्तशती, देवी कवच या ‘जय अम्बे गौरी’ जैसी आरतियों का पाठ करें।

व्रत विधान

अंत में हवन, कलश विसर्जन और देवी का आशीर्वाद लेकर व्रत का समापन किया जाता है।

भक्त नवरात्रि में निर्जल या फलाहार व्रत रखते हैं। कई लोग केवल दिन में एक बार भोजन करते हैं।

व्रत के दौरान लहसुन, प्याज, मांसाहार और मद्यपान का सेवन वर्जित है।

प्रतिदिन माता के एक-एक रूप की पूजा कर “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जप करना शुभ माना जाता है।

नवमी या अष्टमी के दिन कन्या पूजन कर भोजन और उपहार प्रदान किए जाते हैं। यह व्रत का विशेष महत्व रखता है।

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मेष: शैलपुत्री की पूजा से करियर स्थिर होगा।

वृषभ: ब्रह्मचारिणी से शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि।

मिथुन: चंद्रघंटा की उपासना से तनाव दूर।

कर्क: कुष्मांडा से घर में सुख-समृद्धि।

सिंह: स्कंदमाता से संतान सुख।

कन्या: कात्यायनी से विवाह में बाधाएँ दूर।

तुला: कालरात्रि से शत्रु पर विजय।

वृश्चिक: महागौरी से मन की शांति।

धनु: सिद्धिदात्री से ज्ञान और सफलता।

मकर: शैलपुत्री से धैर्य और स्थिरता।

कुंभ: ब्रह्मचारिणी से आध्यात्मिक शक्ति।

मीन: महागौरी से सुख-शांति।

Dear Parents , नवरात्रि सिर्फ पूजा का पर्व नहीं, बल्कि बच्चों के लिए संस्कार और प्रेरणा का उत्सव है। माता-पिता अगर हर दिन थोड़ी-सी कहानी, एक रंग और एक छोटा-सा भोग बच्चों से साझा करें, तो यह पर्व उनके लिए यादगार बन जाएगा।

अगर आप Dehradun , Agra ,Delhi , Ghaziabad , Jaipur या दुनिया के किसी भी कोने में रहते हैं और अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना चाहते हैं, तो इस Navratri 2025 को एक spiritual classroom बनाइए। हर दिन 10 मिनट निकालकर देवी की कहानी और पूजन विधि बच्चों को बताइए—आप देखेंगे कि कैसे उनके दिल में भारतीयता और श्रद्धा की गहरी जड़ें जमती हैं।”

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