भूमिका
भारतीय पुराणों और भागवत महापुराण में भगवान कृष्ण की बाल-लीलाएँ असंख्य गहराइयों से भरी हुई हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध और रहस्यमयी कथा है Krishna aur Putna Vadh। सामान्य रूप से इसे केवल एक दानवी स्त्री का वध माना जाता है, लेकिन वास्तव में इसके पीछे गहरे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय संकेत छिपे हुए हैं। इस लेख में हम Krishna aur Putna Vadh की कहानी, पुतना के पिछले जन्म का रहस्य और इस घटना का ज्योतिषीय महत्व विस्तार से समझेंगे।
Putna कौन थी?
कंस ने जब यह भविष्यवाणी सुनी कि उसका वध कृष्ण के हाथों होगा, तब उसने अनेक राक्षसों को भेजा। इन्हीं में से एक थी Putna। वह एक खूबसूरत स्त्री का रूप धारण करके गोकुल पहुँची और शिशु कृष्ण को विषपान कराने की योजना बनाई।
परंतु कथा केवल यहीं तक सीमित नहीं है। पुराणों में कहा गया है कि Putna अपने पिछले जन्म में एक स्त्री थी जिसने बालक को दूध पिलाने से मना कर दिया था। उसी पाप के कारण वह अगले जन्म में राक्षसी बनी। किंतु कृष्ण की लीला इतनी करुणामयी है कि उन्होंने उसे वध करने के बाद भी मातृ-स्थान प्रदान किया।
Krishna aur Putna Vadh की कथा
गोकुल में जब Putna आई तो उसने अपनी मोहक छवि से सबको मोहित कर दिया। वह यशोदा माता के घर पहुँची और शिशु कृष्ण को गोद में लेने की इच्छा जताई।
Putna ने अपने स्तनों पर घातक विष लगाया था।
वह सोच रही थी कि जैसे ही कृष्ण दूध पिएँगे, उनकी मृत्यु हो जाएगी।
लेकिन हुआ उल्टा – कृष्ण ने दूध के साथ उसकी प्राणशक्ति भी खींच ली।
यह घटना ही Krishna aur Putna Vadh कहलाती है।
पिछले जन्म का संबंध
कहा जाता है कि Putna पहले जन्म में एक सुंदर स्त्री थी, लेकिन उसके भीतर क्रूरता और स्वार्थ था। जब उसने एक शिशु को दूध नहीं पिलाया, तो यह कर्म उसके अगले जन्म में फलित हुआ।
ज्योतिष शास्त्र में इसे “पूर्व जन्म का ऋण” माना गया है। जब चंद्रमा और राहु का अशुभ योग जन्मपत्रिका में होता है, तो ऐसे कार्यों का फल अगले जन्म में राक्षसी प्रवृत्ति के रूप में मिलता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से Krishna aur Putna Vadh
चंद्रमा और राहु का संबंध – Putna का स्तनों पर विष लगाना वास्तव में चंद्रमा (दूध) और राहु (विष/भ्रम) के मिलन का प्रतीक है।
कृष्ण का ग्रह योग – कृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा के विशेष संयोग में जन्मे। इसका अर्थ है कि वह हर प्रकार के विष और मायाजाल को नष्ट करने वाले थे।
पिछला जन्म और ग्रहों का फल – जब किसी व्यक्ति ने मातृत्व या पोषण के धर्म का अपमान किया हो, तो जन्मपत्रिका में चंद्रमा दुर्बल और राहु-केतु प्रबल होते हैं। Putna इसका प्रत्यक्ष उदाहरण थी।
इस प्रकार Krishna aur Putna Vadh केवल एक कथा नहीं बल्कि ज्योतिष का जीवंत उदाहरण भी है।
Putna का उद्धार
यहाँ सबसे बड़ा रहस्य है – कृष्ण ने Putna का वध किया, लेकिन साथ ही उसे मुक्ति भी दी।
शास्त्रों में कहा गया है कि जिसे कृष्ण स्पर्श भी कर लें, उसका उद्धार निश्चित है।
Putna ने चाहे छल से दूध पिलाना चाहा, लेकिन वह “दूध पिलाने वाली माता” के रूप में मानी गई।
इसलिए कृष्ण ने उसे मातृगति प्रदान की।
यह घटना दिखाती है कि दैवीय प्रेम और करुणा कितनी गहरी होती है।
अध्यात्मिक अर्थ
Putna = भीतर का विष – हर इंसान के भीतर ईर्ष्या, लालच और स्वार्थ का विष छिपा है।
Krishna = दिव्य चेतना – जब जीवन में कृष्ण का स्मरण होता है, तब यह विष नष्ट हो जाता है।
Krishna aur Putna Vadh = आत्मा का शुद्धिकरण – यह घटना हमें बताती है कि कृष्ण के नाम का स्मरण भी भीतर के राक्षसों को समाप्त कर देता है।
आधुनिक जीवन के लिए संदेश
आज भी हम अपने भीतर कई प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा पालते हैं –
क्रोध
ईर्ष्या
लोभ
स्वार्थ
ये सब मिलकर हमारी आत्मा को दूषित करते हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे Putna ने विष से युक्त दूध दिया।
लेकिन जब हम कृष्ण का नाम लेते हैं, जब हम आध्यात्मिक जीवन अपनाते हैं, तो ये सारे दोष नष्ट हो जाते हैं। यही Krishna aur Putna Vadh का वास्तविक संदेश है।
FAQs
Q1. Putna का असली नाम क्या था?
उत्तर: शास्त्रों में उसे “पूतना” ही कहा गया है, जिसका अर्थ है – पवित्र दिखने वाली लेकिन भीतर से विषैली।
Q2. Krishna aur Putna Vadh कब हुआ था?
उत्तर: यह घटना कृष्ण के जन्म के कुछ ही दिनों बाद गोकुल में हुई थी।
Q3. क्या Putna को मोक्ष मिला?
उत्तर: हाँ, कृष्ण ने उसे वध के बाद भी मातृगति देकर मोक्ष प्रदान किया।
Q4. इस कथा का ज्योतिषीय महत्व क्या है?
उत्तर: यह घटना चंद्रमा-राहु के अशुभ योग और पूर्व जन्म के कर्मफल का प्रतीक मानी जाती है।
Q5. आधुनिक जीवन में इस कथा से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: हमें अपने भीतर की नकारात्मकता को कृष्ण की भक्ति और आध्यात्मिकता से समाप्त करना चाहिए।
Krishna aur Putna Vadh केवल एक दानव वध की कथा नहीं है, बल्कि यह गहरा संदेश देती है कि जब जीवन में विषैली प्रवृत्तियाँ हावी हो जाएँ, तो कृष्ण का स्मरण करके उन्हें नष्ट किया जा सकता है। पुतना के उद्धार से यह भी सिद्ध होता है कि भगवान केवल दुष्टों का नाश नहीं करते, बल्कि उन्हें मोक्ष का मार्ग भी प्रदान करते हैं।
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