Maa Durga ke 9 Roop: Maa Skandmata पाँचवां स्वरूप और इसका महत्व

Maa Durga ke 9 Roop: Maa Skandmata-परिचय

हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व देवी माँ की शक्ति और भक्ति का अद्वितीय संगम है। इस पर्व के दौरान Maa Durga ke 9 roop की आराधना की जाती है। हर रूप साधक को जीवन का विशेष संदेश देता है। माँ के ये नौ स्वरूप न केवल भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं, बल्कि उनके आध्यात्मिक, सामाजिक और ज्योतिषीय जीवन पर गहरा प्रभाव भी डालते हैं।

इन्हीं में से पाँचवां स्वरूप है माँ स्कंदमाता (Maa Skandmata)। इन्हें भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण यह नाम प्राप्त हुआ। माँ स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पाँचवें दिन की जाती है। यह स्वरूप मातृत्व, करुणा, त्याग और अपार शक्ति का प्रतीक है।

माँ स्कंदमाता की विशेषता यह है कि उनकी गोद में स्वयं भगवान कार्तिकेय विराजते हैं। इस रूप में माँ भक्तों को यह संदेश देती हैं कि मातृत्व केवल संतान पालन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण का आधार है।

Maa Durga ke 9 Roop: Maa Skandmata-पौराणिक कथा

शास्त्रों में वर्णन है कि जब देवताओं और असुरों के बीच भीषण युद्ध हुआ, तब देवताओं की रक्षा के लिए माँ दुर्गा ने अपने पाँचवे स्वरूप को प्रकट किया। माँ ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को देवसेना का सेनापति नियुक्त किया, जिन्होंने असुरों का संहार किया और देवताओं की विजय सुनिश्चित की।

माँ स्कंदमाता को पुत्रकार्तिकेय सहित पूजने से भक्त को संतान सुख, परिवार में शांति और जीवन में सामंजस्य प्राप्त होता है। यह कथा यह भी बताती है कि Maa Durga ke 9 roop में माँ स्कंदमाता वह स्वरूप हैं, जो शक्ति और ममता दोनों का अद्भुत संगम हैं।

Maa Durga ke 9 Roop: Maa Skandmata-स्वरूप और पूजन विधि

माँ स्कंदमाता को चार भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है।

दो हाथों में वे कमल पुष्प धारण करती हैं।

एक हाथ में पुत्र कार्तिकेय को गोद में लिए होती हैं।

चौथे हाथ से वे भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

उनका वाहन सिंह है, जो वीरता और पराक्रम का प्रतीक है। माँ का स्वरूप बहुत शांत और दिव्य है, जो भक्तों को मातृत्व और करुणा की भावना से भर देता है।

पूजन विधि:

नवरात्रि के पाँचवे दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थल पर माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

कमल पुष्प, पीले फूल और धूप-दीप अर्पित करें।

विशेष भोग के रूप में केले चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मंत्र “ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः” का जाप करने से माँ प्रसन्न होती हैं।

ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माँ स्कंदमाता का सम्बन्ध बुध ग्रह से माना जाता है। बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, संचार और तर्कशक्ति का कारक है। जिनकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होता है, वे मानसिक अस्थिरता, निर्णयहीनता और पारिवारिक मतभेदों का सामना करते हैं।

माँ स्कंदमाता की उपासना करने से बुध ग्रह के दोष शांत होते हैं। विशेष रूप से विद्यार्थी, व्यापारी और वे लोग जिन्हें संचार और बुद्धि पर आधारित कार्य करने होते हैं, उनके लिए यह स्वरूप अत्यंत लाभकारी है। Maa Durga ke 9 roop में माँ स्कंदमाता का यह स्वरूप ज्ञान, विवेक और शांति का प्रतीक है।

आध्यात्मिक संदेश

माँ स्कंदमाता हमें यह शिक्षा देती हैं कि मातृत्व केवल परिवार तक सीमित नहीं होना चाहिए। सच्चा मातृत्व समस्त समाज और मानवता के कल्याण के लिए होना चाहिए। जिस प्रकार माँ ने अपने पुत्र को देवताओं की रक्षा के लिए समर्पित किया, उसी प्रकार हमें भी अपने गुणों और क्षमताओं को समाज के कल्याण में लगाना चाहिए।

माँ स्कंदमाता यह भी सिखाती हैं कि सच्ची शक्ति करुणा में छिपी होती है। Maa Durga ke 9 roop में यह स्वरूप साधक को यह संदेश देता है कि आत्मबल और मातृत्व का संयोजन ही जीवन को सार्थक बनाता है।

सामाजिक और नैतिक उपयोगिता

माँ स्कंदमाता की पूजा का गहरा सामाजिक महत्व है।

यह परिवार में प्रेम और एकजुटता को बढ़ाती है।

संतान की सफलता और उन्नति के लिए माता-पिता को सही मार्गदर्शन करने की प्रेरणा देती है।

समाज में मातृत्व और करुणा के भाव को मजबूत करती है।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जहाँ लोग तनाव और रिश्तों की उलझनों से जूझ रहे हैं, माँ स्कंदमाता की पूजा से परिवार में शांति और सौहार्द बढ़ता है। Maa Durga ke 9 roop में यह स्वरूप हमें यह समझाता है कि समाज तभी मजबूत होगा जब परिवार मजबूत होंगे।

Maa Durga ke 9 Roop: Maa Skandmata- निष्कर्ष

नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा करने से भक्त को संतान सुख, बुद्धि, विवेक और परिवार में शांति की प्राप्ति होती है। माँ स्कंदमाता का स्वरूप न केवल मातृत्व का प्रतीक है बल्कि वीरता और त्याग का भी प्रतीक है।

Maa Durga ke 9 roop में यह स्वरूप हमें सिखाता है कि जीवन में केवल शक्ति ही नहीं बल्कि करुणा और मातृत्व भी आवश्यक है। माँ की कृपा से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और परिवार में सुख-शांति का वातावरण बनता है।

Maa Durga ke 9 Roop: Maa Skandmata- FAQs

Q1: Maa Durga ke 9 roop में पाँचवां स्वरूप कौन-सा है?
Ans. माँ स्कंदमाता।

Q2: माँ स्कंदमाता की पूजा कब की जाती है?
Ans. नवरात्रि के पाँचवे दिन।

Q3: माँ स्कंदमाता का वाहन क्या है?
Ans. सिंह।

Q4: माँ स्कंदमाता का सम्बन्ध किस ग्रह से है?
Ans. बुध ग्रह से।

Q5: माँ स्कंदमाता की पूजा से क्या लाभ होते हैं?
Ans. संतान सुख, पारिवारिक शांति, बुध ग्रह दोष निवारण और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति।

अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में परिवार का सौभाग्य, संतान की उन्नति और मन की शांति हमेशा बनी रहे, तो नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा अवश्य करें। Maa Durga ke 9 roop में यह स्वरूप आपके परिवार को खुशियों से भर देगा और आपके जीवन को नई दिशा देगा।

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