Shani Mangal Samsaptak Yog ने रच दी धाराली में तबाही की पटकथा?
उत्तराखंड के शांत और आध्यात्मिक क्षेत्र धाराली में हाल ही में जो भीषण तबाही देखने को मिली — तेज़ बारिश, लैंडस्लाइड, नदी का उफान, लोगों का विस्थापन — वो सिर्फ मौसम की मार नहीं थी। ये तबाही आसमान में पहले ही लिखी जा चुकी थी, और इसका संकेत दिया था Shani Mangal Samsaptak Yog ने।
हमने अपने पूर्वज्योतिषीय विश्लेषण में इस बात की चेतावनी पहले ही दी थी कि 2025 के सावन–भादों में जब शनि और मंगल आमने-सामने होंगे, तब उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्र विशेष खतरे में होंगे।
क्या है Shani Mangal Samsaptak Yog?
जब शनि और मंगल 180 डिग्री पर आमने-सामने होते हैं, तब बनता है संसप्तक योग — यानी Shani Mangal Samsaptak Yog। यह योग अत्यंत तनावपूर्ण होता है, क्योंकि:
- शनि है धीमा, भारी, दबाव बनाने वाला, जो अभी मीन राशि (जल तत्व) में है।
- मंगल है तेज, विस्फोटक, तुरंत प्रतिक्रिया देने वाला, जो कन्या राशि (पृथ्वी तत्व) में है।
जल तत्व + पृथ्वी तत्व का यह संघर्ष बनाता है प्राकृतिक असंतुलन का सूत्रधार।
Shani Mangal Samsaptak Yog: कैसे बना यह योग तबाही का कारण?
जब मंगल और शनि आमने-सामने आते हैं:
- ज़मीन अस्थिर हो जाती है (landslides, भू-स्खलन)
- जल का दबाव असामान्य हो जाता है (cloudburst, बाढ़)
- संरचनात्मक नाश होता है (सड़कें, घर, पुल टूटते हैं)
Shani Mangal Samsaptak Yog में यही सब कुछ उत्तराखंड के धाराली में हुआ — ठीक वैसा जैसा हमारे ज्योतिषीय विश्लेषण में बताया गया था।
और भी ग्रहों ने मिलाया हाथ
इस तबाही के पीछे केवल शनि और मंगल नहीं थे। साथ ही सक्रिय थे:
- राहु – जो मीन राशि में उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में स्थित था
- केतु – कन्या राशि में हस्त नक्षत्र में स्थित था
- चंद्रमा – जो इन दोनों के प्रभाव में आया
इन तीनों ग्रहों की नक्षत्र स्थिति ने एक प्रकार का नक्षत्र-आधारित काल सर्प योग जैसा प्रभाव बनाया, जिससे मानसिक अस्थिरता, मौसमीय उथल-पुथल और अचानक प्राकृतिक घटनाएं सामने आईं।
पहले से दी गई चेतावनी सच हुई
हमने अपने पूर्व प्रकाशित लेख में बताया था कि:
- Mars transit to Virgo – ज़मीनी हलचल बढ़ेगी
- Shani Mangal Samsaptak Yog – ज़बरदस्त टकराव की आशंका
- Rahu-Ketu Nakshatra Shift – प्राकृतिक असंतुलन और बाढ़ की संभावना
हमारी भविष्यवाणी थी कि उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में तबाही हो सकती है — और आज धाराली की तस्वीरें इस चेतावनी की पुष्टि कर रही हैं।
क्यों बार-बार प्रभावित होता है उत्तराखंड?
वर्ष | घटना | कारण |
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2013 | केदारनाथ बाढ़ | मंगल-शनि के बीच टेंशन |
2021 | चमोली ग्लेशियर हादसा | मंगल और शनि वर्ग स्थिति में |
2025 | धाराली में तबाही | Shani Mangal Samsaptak Yog का प्रभाव |
उत्तराखंड के क्षेत्र चंद्र और गुरु से शासित माने जाते हैं, जो जल और भावनाओं से जुड़े हैं। जब-जब शनि और मंगल आमने-सामने आते हैं, ये क्षेत्र कंपने लगते हैं।
शांति के उपाय (Astrological Remedies)
ऐसे समय में कुछ उपाय सामूहिक रूप से किए जाएं तो प्रकृति की नाराज़गी कम हो सकती है:
- शनि शांति पाठ – गांवों या मंदिरों में करवाएं
- मंगल दोष निवारण यज्ञ
- जल तत्व शांति के लिए वरुण देव पूजन
- हनुमान चालीसा व महामृत्युंजय मंत्र का सामूहिक जाप
- तांबे की अंगूठी या काले तिल का दान
Des Moines , Flint Hills ,Altoona, USA, Shanghai के पाठकों के लिए विशेष संदेश:
यदि आप अमेरिका के Des Moines, Flint Hills ,Altoona या Shanghai किसी ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहाँ बाढ़, भूकंप या मौसमी चरम स्थितियां आती हैं, तो Shani Mangal Samsaptak Yog का आपके जीवन और आस-पास के क्षेत्र पर भी असर हो सकता है।
व्यक्तिगत कुंडली के माध्यम से इस योग के प्रभाव को समझें और समय रहते समाधान लें।
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FAQs
Q1. Shani Mangal Samsaptak Yog क्या होता है?
जब शनि और मंगल 180° की दूरी पर आमने-सामने होते हैं, तो उसे संसप्तक योग कहते हैं। यह टकराव, विध्वंस और दुर्घटनाओं से जुड़ा होता है।
Q2. क्या यह योग हर बार प्रभावी होता है?
नहीं, पर जब यह जल और पृथ्वी तत्व की राशियों में होता है, तब इसके प्रभाव और भी खतरनाक हो जाते हैं।
Q3. क्या ज्योतिष से प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी हो सकती है?
सटीक समय और स्थान बताना कठिन है, लेकिन जोखिम वाले क्षेत्र और अवधि का पूर्वानुमान बिल्कुल संभव है।
Q4. आगे कौन-से क्षेत्र सतर्क रहें?
पर्वतीय, नदी किनारे, भूस्खलन-प्रवण और उच्च वर्षा वाले क्षेत्र, विशेषकर मीन, कन्या और वृश्चिक राशि से संबंधित स्थान।
भारत में सतर्क रहने वाले क्षेत्र
मीन (Pisces) से संबंधित / जल प्रधान क्षेत्र:
- उत्तराखंड – विशेषकर धाराली, केदारनाथ, बद्रीनाथ, चमोली, टिहरी
- हिमाचल प्रदेश – कुल्लू, मनाली, धर्मशाला
- केरल – इडुक्की, कोट्टायम, वायनाड (भारी बारिश और जलप्रलय संभावित)
- असम और अरुणाचल प्रदेश – ब्रह्मपुत्र नदी किनारे के क्षेत्र
- गोवा और मुंबई – समुद्र तटीय जल-प्रभावित क्षेत्र
कन्या (Virgo) से संबंधित / भूमि+जल संघर्ष क्षेत्र:
- सिक्किम और उत्तर बंगाल – दार्जिलिंग, कलिम्पोंग
- महाराष्ट्र – कोल्हापुर, सातारा, रायगढ़ (पश्चिम घाट के क्षेत्र)
- झारखंड और ओडिशा – खनिज-समृद्ध, परंतु भूमि अस्थिर क्षेत्र
- नैनीताल और मसूरी – भूमि खिसकने के लिए कुख्यात
वृश्चिक (Scorpio) से संबंधित / गहरे जल एवं रहस्यमय क्षेत्रों वाले:
- कश्मीर घाटी – श्रीनगर, अनंतनाग, पहलगाम
- चंबा और स्पीति घाटी (HP) – दूरस्थ, अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र
- बस्तर (छत्तीसगढ़) – अर्ध-पर्वतीय और जल स्रोतों वाला क्षेत्र
- दमन और दीव, लक्षद्वीप – तटीय, रहस्यमय द्वीपीय क्षेत्र
विदेशी देशों/क्षेत्रों में जो सतर्क रहें:
Pisces-related (Water-dominant or spiritual countries):
- नेपाल – पर्वतीय और मीन से जुड़ा देश
- Japan – जल व भूकंपीय गतिविधियों वाला क्षेत्र
- Philippines & Indonesia – बार-बार आने वाले समुद्री तूफानों का क्षेत्र
- New Zealand – जल और पर्वतों से युक्त संवेदनशील क्षेत्र
Virgo-related (Agrarian and Earthquake-prone zones):
- Turkey – भूकंप संभावित क्षेत्र
- Greece – द्वीपीय, भूस्खलन संभावित
- California (USA) – वर्जिन ऊर्जा और भूमि कंपन का क्षेत्र
- Chile – पर्वतीय, भूकंपीय क्षेत्र
Scorpio-related (Mystical and deep transformation zones):
- Iceland – आग और बर्फ का रहस्यमय द्वीप
- Alaska (USA) – शांत परंतु अस्थिर भू-भाग
- South America – Andes region – पर्वतीय और अज्ञात भूस्खलन क्षेत्र
- Tibet – गूढ़, शांत और ऊँचे जलस्रोतों वाला क्षेत्र