आज की नयी पीढ़ी जब किसी पर्व को मनाती है तो उनके मन में पहला प्रश्न आता है — “आख़िर इसका अर्थ क्या है?”
वहीं, माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे सिर्फ़ रीति-रिवाज़ न दोहराएँ, बल्कि उसके पीछे का वैज्ञानिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक अर्थ भी समझें।
और Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning इसी पुल का काम करती है — परंपरा और समझ के बीच।
क्योंकि समय बदल गया है — अब पूजा केवल कर्मकांड नहीं रही, बल्कि कनेक्शन की खोज बन गई है। बच्चे अब यह जानना चाहते हैं कि सूर्य को अर्घ्य देने से हमारी बॉडी, माइंड और एनर्जी पर क्या असर पड़ता है।
यही वह बिंदु है जहाँ पुरानी पीढ़ी का अनुभव और नयी पीढ़ी की जिज्ञासा मिलकर आध्यात्मिक विज्ञान का एक नया रूप गढ़ते हैं।
छठ पूजा अब केवल घाटों तक सीमित नहीं, बल्कि हर उस आत्मा की यात्रा बन चुकी है जो प्रकाश को भीतर महसूस करना चाहती है।
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning : इतिहास से शुरुआत: जब सूर्य की उपासना जीवन का आधार बनी
कहा जाता है कि छठ पर्व की शुरुआत त्रेता युग में हुई थी। जब सीता माता ने श्रीराम के साथ अयोध्या लौटने के बाद इस व्रत को किया था, ताकि संतान-सुख और समाज की भलाई हो।
वहीं महाभारत काल में कर्ण भी प्रतिदिन सूर्यदेव की पूजा करते थे — वे “सूर्य पुत्र” कहलाए।
इन दोनों उदाहरणों से स्पष्ट है कि छठ पूजा सूर्य के प्रति कृतज्ञता का पर्व है — उस ऊर्जा के प्रति जो जीवन की हर धड़कन को शक्ति देती है।
किंवदंती यह भी है कि प्राचीन वैदिक काल में ऋषि-मुनि छठ तिथि को सूर्य साधना करते थे। उस समय यह पूजा केवल धर्म नहीं बल्कि देह और चेतना को एकसाथ संतुलित करने की साधना मानी जाती थी।
सूर्य को “प्रत्यक्ष देवता” कहा गया — क्योंकि वे वही शक्ति हैं जिन्हें आँखों से देखा जा सकता है।
आज जब हम सूर्य को अर्घ्य देते हैं, तो यह केवल एक परंपरा नहीं बल्कि हजारों वर्षों पुराने वेदों और ज्योतिष का जीवंत अनुभव है।
यही कारण है कि छठ पूजा को ‘प्रकृति और चेतना के मिलन का पर्व’ कहा जाता है — जहाँ मनुष्य अपनी सीमाओं से ऊपर उठकर प्रकाश से एक हो जाता है।
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning :सूर्य — केवल देवता नहीं, ब्रह्मांडीय ऊर्जा का स्रोत
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य आत्मा का कारक ग्रह माना गया है।
हमारी कुंडली में सूर्य का स्थान दर्शाता है — जीवन का उद्देश्य, आत्म-बल और नेतृत्व शक्ति।
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning के अनुसार, जब हम सूर्य को अर्घ्य देते हैं, तो हम अपने भीतर की चेतना को भी जागृत करते हैं।
उदाहरण के लिए, जिस तरह सूरज की किरणें पौधों में प्राण भरती हैं, उसी तरह सूर्य की ऊर्जा मनुष्य के भीतर की आत्मिक शक्ति को जगाती है।
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning : प्रक्रिया – आत्म-शुद्धि का विज्ञान
छठ व्रत कुल मिलाकर चार दिनों तक चलता है — और हर दिन आत्मा को शुद्ध करने की एक यात्रा होती है।
नहाय–खाय: शरीर की शुद्धि। भक्त नदी में स्नान कर सात्विक भोजन करते हैं — यह आत्म-अनुशासन का पहला कदम है।
खरना: दूसरा दिन उपवास और एक समय प्रसाद से आत्म-संयम सिखाता है।
संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को जल अर्पित करना — यानी जीवन के उतरते पड़ाव में भी कृतज्ञ रहना।
उषा अर्घ्य: चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देना — नई शुरुआत और आशा का प्रतीक।
हर चरण एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है — तन, मन और आत्मा को एक सूत्र में बांधने की।
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning : ज्योतिषीय रहस्य – षष्ठी तिथि, सूर्य और शनि का संतुलन
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning का सबसे गहरा पहलू इसकी ज्योतिषीय स्थिति में छिपा है।
यह पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को आता है — षष्ठी तिथि देवी शक्ति और संतुलन का प्रतीक है।
सूर्य इस समय तुला या वृश्चिक राशि के समीप होते हैं — यह काल सूर्य और शनि (पिता–पुत्र) की ऊर्जा को संतुलित करता है।
यह योग हमारे जीवन में अहंकार और कर्मफल के बीच संतुलन सिखाता है।
जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि के बीच टकराव हो (जैसे पिता-पुत्र का मतभेद या आत्म-सम्मान की समस्या), उसे छठ पूजा करने या सूर्य मंत्र का जाप करने से अद्भुत राहत मिलती है।
सूर्य जल और डूबते सूरज को अर्घ्य – इसका वैज्ञानिक अर्थ
कई लोग पूछते हैं — “अस्त होते सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं?”
वास्तव में यह ऊर्जा का संक्रमण बिंदु होता है — जब दिन का अंत और रात की शुरुआत मिलते हैं।
इस समय दिया गया अर्घ्य सूर्य की अवशिष्ट किरणों को शरीर की आभा में समाहित करता है।
वैज्ञानिक रूप से भी यह विटामिन D और सकारात्मक आयन संतुलन का सर्वोत्तम समय है।
इसलिए Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning सिर्फ़ पूजा नहीं, बल्कि एनर्जी बैलेंसिंग का प्राचीन योग-सिस्टम है।
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning : आत्मिक अर्थ – कृतज्ञता, संतुलन और समर्पण
छठ पूजा का सबसे सुंदर संदेश यह है कि कृतज्ञता जीवन का मूल है।
जब कोई व्यक्ति बिना किसी मांग के, सिर्फ़ धन्यवाद के भाव से सूर्य को प्रणाम करता है — तब ब्रह्मांड उसका संतुलन स्वयं सुधारता है।
यह वही भाव है जो हम अपने बच्चों को सिखा सकते हैं —
“सच्ची पूजा वो है जिसमें तुम माँ–बाप, प्रकृति और अपने कर्म के प्रति आभार व्यक्त करो।”
आज की नई पीढ़ी के लिए यह पर्व एक माइंड डिटॉक्स और हार्ट एनर्जी रीसेट जैसा है।
आधुनिक उदाहरण – जब विज्ञान और आस्था मिले
आज बहुत से वैज्ञानिक भी सनलाइट थेरेपी या सूर्य नमस्कार को मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक मानते हैं।
असल में छठ पूजा भी यही करती है —
सूर्य जल, श्वास नियंत्रण, मौन साधना और प्राकृतिक संपर्क — यह सब ज्योतिष और आध्यात्मिक विज्ञान का जीवंत संगम है।
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning : माता–पिता और नई पीढ़ी के लिए सीख
माता-पिता के लिए यह पर्व बच्चों को यह सिखाने का अवसर है कि —
आस्था अंधविश्वास नहीं, बल्कि कृतज्ञता का विज्ञान है।
और नई पीढ़ी को यह समझने की ज़रूरत है कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ तालमेल ही असली सफलता है।
“When you bow to the Sun, you actually rise within.”
निष्कर्ष: आत्मा को सूर्य से जोड़ने का पर्व
Chhath Puja Astrological and Spiritual Meaning हमें याद दिलाती है कि
जब हम सूर्य को प्रणाम करते हैं, तो हम अपने भीतर की रोशनी को नमस्कार कर रहे होते हैं।
यह पर्व बाहरी पूजा नहीं, बल्कि भीतर के सूरज को जगाने की प्रक्रिया है।
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लेखक— राजीव सरस्वत
राजीव सरस्वत एक प्रसिद्ध ज्योतिष लेखक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं, जो वैदिक ज्योतिष को आधुनिक सोच और मानवीय भावनाओं के साथ जोड़ते हैं।
उनका उद्देश्य है कि हर पाठक ग्रहों, अंकों और संकेतों के माध्यम से अपने जीवन की दिशा को बेहतर समझ सके।
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Gyanvardhak article baht si nayi beating pata chalin
Bahot hi accha artical hai.. Thanks