भाग्य के सितारे – भाग 2
भूमिका – जब आकाश बोलता है
Nakshatra in Vedic Astrology -भाग 1 में हमने समझा था कि नक्षत्र केवल तारों का समूह नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा के पड़ाव हैं। अब इस भाग में हम उन २७ नक्षत्रों के रहस्य को जानेंगे जिनमें हर एक अपनी विशिष्ट ऊर्जा लिए बैठा है।
वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) में माना गया है कि जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है, उस समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वही उसका जन्म नक्षत्र (Janma Nakshatra) कहलाता है — और यही उसकी भावनाओं, कर्मों और भाग्य का केंद्र होता है।
ज़रा सोचिए — जब कोई बच्चा पहली बार सांस लेता है, तब ब्रह्मांड की कौन-सी तरंगें उसके चारों ओर गूंज रही होती हैं? यही तरंगें नक्षत्रों के रूप में उसकी आत्मा पर अंकित हो जाती हैं। यही है Nakshatra in Vedic Astrology की गहराई।
Nakshatra in Vedic Astrology -27 नक्षत्रों की दिव्य सूची – एक खगोलीय यात्रा
प्रत्येक नक्षत्र केवल आकाश का तारा नहीं, बल्कि एक चेतना है जो मानव जीवन को दिशा देती है। वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) के अनुसार, इन 27 नक्षत्रों में सम्पूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा गूँजती है। आइए Nakshatra in Vedic Astrology में एक-एक करके इनकी कहानियाँ, गुण और गूढ़ रहस्यों को समझें —
अश्विनी नक्षत्र – देवता: अश्विनी कुमार | स्वामी: केतु
यह नक्षत्र गति, आरंभ और उपचार का प्रतीक है। अश्विनी कुमार देवता देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे लोग तेज, उत्साही और दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं। इनके भीतर प्राकृतिक हीलर की शक्ति होती है — चाहे डॉक्टर बनकर, या शब्दों से किसी का दर्द मिटाकर। जीवन में ये हमेशा किसी नई शुरुआत के प्रतीक बनते हैं।
भरणी नक्षत्र – देवता: यमराज | स्वामी: शुक्र
भरणी नक्षत्र अनुशासन, कर्मफल और सीमाओं का द्योतक है। यह नक्षत्र सिखाता है कि हर कार्य का परिणाम होता है। ऐसे जातक गहरे विचारों वाले, ज़िम्मेदार और नैतिक होते हैं। जीवन में कई बार इन्हें कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, ताकि ये दूसरों के लिए उदाहरण बन सकें — जैसे यमराज न्याय करते हैं, वैसे ही ये सत्य के पक्षधर रहते हैं।
कृत्तिका नक्षत्र – देवता: अग्नि | स्वामी: सूर्य
यह नक्षत्र तेज, साहस और शुद्धिकरण का प्रतीक है। अग्नि देव की तरह कृत्तिका जातक हर अंधकार को प्रकाश में बदलना जानते हैं। ये लोग अपने विचारों में तीव्र और स्पष्ट होते हैं। जीवन में अनेक बार “परीक्षा की अग्नि” से गुजरकर ये स्वयं को परिष्कृत करते हैं। इनके भीतर नेतृत्व और आत्मविश्वास की लौ सदा जलती रहती है।

रोहिणी नक्षत्र – देवता: ब्रह्मा | स्वामी: चंद्रमा
सौंदर्य, आकर्षण और सृजन का नक्षत्र। रोहिणी वह नक्षत्र है जिससे चंद्रमा को विशेष प्रेम था — और यही कारण है कि दक्ष प्रजापति ने उन्हें शाप दिया कि चंद्रमा घटता-बढ़ता रहेगा। रोहिणी जातक आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं, जिनमें कला, संगीत या डिजाइन की उत्कृष्ट समझ होती है। वे जहां भी जाते हैं, वहां सौंदर्य और शांति की छाप छोड़ते हैं।
मृगशिरा नक्षत्र – देवता: सोम | स्वामी: मंगल
यह खोज और जिज्ञासा का नक्षत्र है। मृगशिरा जातक हमेशा किसी नई सच्चाई, प्रेम या ज्ञान की तलाश में रहते हैं। ये जीवन को यात्रा की तरह देखते हैं — हर अनुभव से कुछ नया सीखना इनका मंत्र है। ये अत्यंत संवेदनशील और कल्पनाशील होते हैं, पर स्थिरता पाना इनके लिए एक चुनौती भी रहती है।
आर्द्रा नक्षत्र – देवता: रुद्र | स्वामी: राहु
यह नक्षत्र आंतरिक तूफ़ान और परिवर्तन का प्रतीक है। जैसे वर्षा से पहले बादलों की गर्जना होती है, वैसे ही आर्द्रा जातक जीवन में संकट झेलकर भीतर से नये व्यक्ति के रूप में उभरते हैं। इनमें गहरी भावनात्मक शक्ति होती है — ये दूसरों के दर्द को समझते हैं, और दुनिया में बदलाव लाने का हौसला रखते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र – देवता: अदिति | स्वामी: बृहस्पति
पुनर्जन्म, आशा और क्षमा का नक्षत्र। अदिति — जो देवताओं की माता हैं — असीम दया की प्रतीक हैं। इस नक्षत्र में जन्मे लोग हमेशा पुनः उठ खड़े होते हैं, चाहे जीवन ने उन्हें कितनी बार गिराया हो। इनका जीवन हमें सिखाता है कि असली ताकत गिरने में नहीं, बल्कि हर बार उठने में है।
पुष्य नक्षत्र – देवता: बृहस्पति | स्वामी: शनि
यह सबसे शुभ नक्षत्रों में से एक है — पालन-पोषण, शिक्षा और धर्म का प्रतीक। पुष्य जातक स्वभाव से दयालु और जिम्मेदार होते हैं। ये अच्छे शिक्षक, मार्गदर्शक और सलाहकार बनते हैं। इनका जीवन संदेश देता है — “सच्ची शक्ति सेवा में है।” किसी भी कार्य की शुरुआत पुष्य नक्षत्र में करना शुभ माना जाता है।
अश्लेषा नक्षत्र – देवता: सर्प | स्वामी: बुध
रहस्य, नियंत्रण और गहराई का नक्षत्र। अश्लेषा जातक मनोविज्ञान, रहस्यमयी विद्या और गुप्त ज्ञान में निपुण होते हैं। इनके जीवन में छिपे हुए भावों का गहरा प्रभाव होता है। कभी-कभी ये अपनी भावनाओं को शब्दों में नहीं कह पाते, लेकिन अंतर्ज्ञान से सब समझ लेते हैं। यह नक्षत्र सिखाता है कि शक्ति तभी सार्थक है जब उसका उपयोग सज्जनता के लिए किया जाए।
मघा नक्षत्र – देवता: पितृगण | स्वामी: केतु
वंश, परंपरा और गौरव का नक्षत्र। मघा जातक अपने परिवार और संस्कारों से गहराई से जुड़े होते हैं। इनमें राजसी व्यक्तित्व और आत्म-सम्मान की भावना होती है। यह नक्षत्र बताता है कि हमारी जड़ें ही हमारी असली ताकत हैं। जो अपने पूर्वजों का आदर करता है, वह जीवन में ऊँचाइयों को छूता है।
पूर्वा फाल्गुनी – देवता: भग | स्वामी: शुक्र
आनंद, प्रेम और सृजन की ऊर्जा से भरा नक्षत्र। यह जीवन का उत्सव है। इस नक्षत्र में जन्मे लोग आकर्षक, कलात्मक और मिलनसार होते हैं। ये रिश्तों में गर्माहट लाते हैं और लोगों को जोड़ने की कला जानते हैं। इनका मंत्र है — “जीवन को मुस्कान से सजाओ।”
उत्तर फाल्गुनी – देवता: आर्यमा | स्वामी: सूर्य
यह साझेदारी, स्थिरता और नैतिकता का नक्षत्र है। उत्तर फाल्गुनी जातक अपने रिश्तों को दीर्घकालिक और पवित्र बनाए रखते हैं। वे सच्चे साथी, जिम्मेदार मित्र और भरोसेमंद व्यक्ति होते हैं। यह नक्षत्र सिखाता है कि किसी भी बंधन की नींव विश्वास पर टिकी होती है।
हस्त नक्षत्र – देवता: आदित्य | स्वामी: चंद्रमा
यह कर्म, सृजन और क्रियाशीलता का नक्षत्र है। हस्त जातक अपने हाथों से चमत्कार कर दिखाने वाले लोग होते हैं — चाहे कला, सेवा या विज्ञान में। इनका जीवन सिद्धांत है — “जो सोचो, वो करो।” वे आत्मनिर्भरता और दृढ़ निश्चय के प्रतीक हैं।
चित्रा नक्षत्र – देवता: विश्वकर्मा | स्वामी: मंगल
यह सौंदर्य, सृजन और नवाचार का नक्षत्र है। चित्रा जातक कल्पना और वास्तविकता को जोड़ना जानते हैं। वे डिजाइन, आर्किटेक्चर, और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में निपुण होते हैं। इनका दृष्टिकोण होता है — “ईश्वर भी सृजनकर्ता है, तो मैं क्यों नहीं?”
स्वाति नक्षत्र – देवता: वायु | स्वामी: राहु
यह नक्षत्र स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। स्वाति जातक हवा की तरह होते हैं — वे बंधन पसंद नहीं करते, पर हर दिशा में सीखते हुए बढ़ते हैं। जैसे हवा जीवन देती है, वैसे ही ये भी अपने आस-पास के लोगों को नई प्रेरणा देते हैं। “स्वतंत्र सोच ही असली ताकत है” — यही इस नक्षत्र का संदेश है। स्वाति जातक अपने जीवन में आत्मनिर्भरता को ही सफलता का मंत्र मानते हैं।
विशाखा नक्षत्र – देवता: इंद्र-अग्नि | स्वामी: बृहस्पति
यह लक्ष्य, महत्वाकांक्षा और विजय का नक्षत्र है। विशाखा जातक तब तक नहीं रुकते जब तक अपना लक्ष्य हासिल न कर लें। इनका व्यक्तित्व जोशीला और प्रेरणादायक होता है। इनकी तुलना अर्जुन से की जाती है — एकाग्रता और समर्पण का प्रतीक। “एक लक्ष्य, एक दिशा” — यही इनका जीवन मंत्र है। यह नक्षत्र हमें सिखाता है कि आधी जीत धैर्य में छिपी होती है।
अनुराधा नक्षत्र – देवता: मित्र | स्वामी: शनि
यह नक्षत्र प्रेम, मित्रता और सच्चे सहयोग का प्रतीक है। अनुराधा जातक रिश्तों को निभाने में पारंगत होते हैं। ये अपने मित्रों और परिवार के लिए हमेशा समर्पित रहते हैं। इनका जीवन यह सिखाता है कि सच्चा साथी वही है जो कठिन समय में भी आपके साथ खड़ा रहे। यह नक्षत्र मानवीयता और वफादारी की असली मिसाल है।
ज्येष्ठा नक्षत्र – देवता: इंद्र | स्वामी: बुध
यह नेतृत्व, प्रतिष्ठा और ज़िम्मेदारी का नक्षत्र है। ज्येष्ठा जातक जन्मजात नेता होते हैं, जिनमें आत्म-सम्मान और कर्तव्य भावना गहराई से भरी होती है। कभी-कभी ये दूसरों की अपेक्षाओं से दबाव महसूस करते हैं, पर अंततः अपने साहस और विवेक से हर परिस्थिति संभाल लेते हैं। यह नक्षत्र हमें सिखाता है — “बड़ा बनने का अर्थ है, ज़िम्मेदारी उठाना।”
मूल नक्षत्र – देवता: निरृति | स्वामी: केतु
यह नक्षत्र जड़ों तक पहुँचने की क्षमता रखता है। मूल जातक चीज़ों की सतह से संतुष्ट नहीं होते — वे हर रहस्य की तह तक जाना चाहते हैं। जीवन में कई बार पुराने कर्मों का सामना करने के लिए इन्हें कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है, लेकिन अंततः ये पुनर्जन्म जैसे अनुभव से गुजरते हैं। “सत्य की जड़ तक पहुँचो” — यही इनका कर्म है। यह नक्षत्र आत्मिक पुनर्निर्माण का प्रतीक है।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र – देवता: अप: जल | स्वामी: शुक्र
यह नक्षत्र प्रेरणा, आत्मविश्वास और निष्ठा से भरा होता है। जैसे जल कभी थमता नहीं, वैसे ही पूर्वाषाढ़ा जातक भी रुकना नहीं जानते। वे जीवन के हर उतार-चढ़ाव में भी आगे बढ़ते हैं। इनमें लोगों को प्रेरित करने की शक्ति होती है — ये जन्मजात मोटिवेटर होते हैं। “हार मानना मेरे स्वभाव में नहीं” — यही इनका जीवन दृष्टिकोण होता है।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र – देवता: विश्वदेव | स्वामी: सूर्य
स्थिरता, धर्म और सार्वभौमिकता का प्रतीक नक्षत्र। उत्तराषाढ़ा जातक निष्पक्ष, नैतिक और सत्य के पक्षधर होते हैं। ये समाज में नेतृत्व या नीति-निर्माण की भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। इनके भीतर सूर्य जैसी स्थिरता और जिम्मेदारी होती है। “सत्य ही सबसे बड़ा धर्म है” — यह इस नक्षत्र का सूत्र वाक्य है।

श्रवण नक्षत्र – देवता: विष्णु | स्वामी: चंद्रमा
यह नक्षत्र सुनने, सीखने और भक्ति का प्रतीक है। श्रवण जातक में विनम्रता और ध्यान की शक्ति होती है। यह वही नक्षत्र है जिसमें बालक ध्रुव ने अटल साधना से परम सत्य को पाया था। श्रवण जातक भी जीवन में “सुनकर समझने” की कला रखते हैं। ये गुरुजनों के आशीर्वाद से सफलता प्राप्त करते हैं। यह नक्षत्र याद दिलाता है कि मौन भी एक भाषा है।
धनिष्ठा नक्षत्र – देवता: अष्ट वसु | स्वामी: मंगल
यह नक्षत्र संगीत, समृद्धि और नेतृत्व का प्रतीक है। धनिष्ठा जातक ऊर्जावान, कर्मशील और लोगों को एक साथ लाने में निपुण होते हैं। इनके भीतर ताल और लय का अद्भुत संतुलन होता है — चाहे वह संगीत में हो या जीवन में। यह नक्षत्र बताता है कि असली संपत्ति सामंजस्य और सहयोग में है।
शतभिषा नक्षत्र – देवता: वरुण | स्वामी: राहु
यह नक्षत्र रहस्यों और चिकित्सा की शक्ति से जुड़ा है। शतभिषा जातक शोधकर्ता, हीलर या गहराई से सोचने वाले व्यक्ति होते हैं। ये हर चीज़ की सच्चाई जानना चाहते हैं — सतह से नहीं, भीतर से। यह नक्षत्र बताता है कि उपचार केवल शरीर का नहीं, आत्मा का भी होता है। इसीलिए इसे “हीलिंग स्टार” भी कहा गया है।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र – देवता: अजएकपाद | स्वामी: बृहस्पति
यह नक्षत्र परिवर्तन, तपस्या और आत्मज्ञान से जुड़ा है। पूर्वाभाद्रपद जातक जीवन में गहरे दार्शनिक होते हैं। वे बाहरी चमक से अधिक आंतरिक सच्चाई को महत्व देते हैं। जैसे अग्नि सबकुछ जलाकर शुद्ध करती है, वैसे ही ये भी अपने भीतर की असत्यताओं को जलाकर सच्चे स्व को पहचानते हैं।
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र – देवता: अहिर्बुध्न्य | स्वामी: शनि
यह संतुलन, गहराई और करुणा का नक्षत्र है। उत्तराभाद्रपद जातक शांत, संयमी और अध्यात्मिक दृष्टिकोण वाले होते हैं। ये दुनिया के दर्द को समझते हैं और दूसरों की सहायता करना अपना कर्तव्य मानते हैं। इस नक्षत्र की ऊर्जा जल की तरह गहराई लिए होती है — जितना गहराई में जाओ, उतनी शांति मिलती है।
रेवती नक्षत्र – देवता: पूषन | स्वामी: बुध
यह यात्रा, दया और पूर्णता का नक्षत्र है। रेवती जातक जीवन के अंतिम चरण में पूर्णता और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। ये दूसरों के मार्गदर्शक और रक्षक बनते हैं — जैसे पूषन यात्रियों की रक्षा करते हैं। इस नक्षत्र की आत्मा में करुणा और दिव्यता बसती है। “अंत में सब ठीक हो जाएगा” — यही रेवती का आश्वासन है।

इन 27 नक्षत्रों में सम्पूर्ण जीवन का दर्शन छिपा है। हर नक्षत्र हमें अपने भीतर झाँकने, अपनी नियति को समझने और आत्मा से जुड़ने का अवसर देता है। यही है Nakshatra in Vedic Astrology की असली सुंदरता — जहाँ तारे केवल चमकते नहीं, बल्कि हमारी आत्मा का आईना बनते हैं।
Nakshatra in Vedic Astrology :नक्षत्रों की प्रतीकात्मकता और छिपी ऊर्जा
वैदिक विद्या कहती है कि सभी नक्षत्रों को उनके स्वभाव के अनुसार पाँच श्रेणियों में बाँटा गया —
चर (चल) – यात्रा, व्यापार, परिवर्तन के लिए शुभ
स्थिर – विवाह, भवन निर्माण के लिए शुभ
मृदु – प्रेम, शिक्षा और कला के लिए शुभ
तीक्ष्ण – साहसिक या शल्य कर्म के लिए उपयुक्त
उग्र – शक्ति या युद्ध के लिए शुभ
इन वर्गों के अनुसार ही मुहूर्त तय किए जाते थे।
यही तो Nakshatra in Vedic Astrology की सुंदरता है — यह केवल भविष्य नहीं बताता, बल्कि सही समय पर सही कर्म करने की कला सिखाता है।
Nakshatra in Vedic Astrology : नक्षत्र और मानव भाग्य – आत्मा का नक्शा
आपका Janma Nakshatra आपके स्वभाव, पसंद, रिश्ते और निर्णयों को गहराई से प्रभावित करता है।
जिनका जन्म अश्विनी में होता है, वे जल्दी निर्णय लेते हैं।
रोहिणी जातक आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं,
जबकि स्वाति वाले स्वतंत्र आत्मा होते हैं जो किसी के बंधन में नहीं रह सकते।
जैसे हर व्यक्ति का DNA अलग होता है, वैसे ही हर आत्मा का ‘कॉस्मिक DNA’ उसका नक्षत्र तय करता है। यही कारण है कि Nakshatra in Vedic Astrology को भाग्य का आधार कहा गया है।
Nakshatra in Vedic Astrology : नक्षत्रों से जुड़ी साधना और उपाय
हर नक्षत्र का एक देवता, बीज मंत्र और ऊर्जा केंद्र होता है।
यदि किसी व्यक्ति का जन्म नक्षत्र कमजोर या पीड़ित हो, तो साधना से उसे संतुलित किया जा सकता है।
जैसे —
पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोग “ॐ बृहस्पतये नमः” का जाप करें।
आर्द्रा नक्षत्र के जातक रुद्राभिषेक करें।
रोहिणी में जन्मे चंद्र पूजा से मानसिक शांति पा सकते हैं।
हर माह अपने जन्म नक्षत्र के दिन चंद्र दर्शन और गायत्री मंत्र का जाप जीवन में सकारात्मकता लाता है।
Nakshatra in Vedic Astrology : समापन – जब नक्षत्र आत्मा को छू लेते हैं
नक्षत्र केवल आकाश में चमकते बिंदु नहीं हैं, बल्कि वे आत्मा के दर्पण हैं।
वे हमें सिखाते हैं कि हर उतार-चढ़ाव, हर चमक और हर अंधेरा एक दिव्य क्रम का हिस्सा है।
“हर नक्षत्र कोई तारा नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण की एक किरण है।”
इसलिए अगली बार जब रात में आसमान देखें, तो बस एक पल ठहरिए —
हो सकता है, कोई नक्षत्र उसी क्षण आपसे संवाद कर रहा हो।
यदि आप अपने जन्म नक्षत्र (Janma Nakshatra) को समझना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि यह आपके जीवन, रिश्तों और कर्म से कैसे जुड़ा है — तो astrowonderrbits.com पर जाएँ।
आपका भाग्य सिर्फ लिखा नहीं है, वह नक्षत्रों में गूंजता है।
“यदि आप यह समझना चाहते हैं कि नक्षत्र हमारे भाग्य और जीवन के हर मोड़ को कैसे प्रभावित करते हैं, तो Nakshatra in Vedic Astrology श्रृंखला का प्रथम भाग आपके लिए है — जहाँ हम जानेंगे नक्षत्रों की दिव्य उत्पत्ति और उनके रहस्यमय प्रभावों को।”
Nakshatra in Vedic Astrology : वैदिक ज्योतिष के नक्षत्रों का रहस्यमय संसार
मुझे यकीन है कि इस नक्षत्र श्रृंखला ( Nakshatra in Vedic Astrology : वैदिक ज्योतिष के नक्षत्रों का रहस्यमय संसार) और ( Nakshatra in Vedic Astrology : २७ नक्षत्रों के देवता, रहस्य और वैदिक संदेश )
में इसे सरल बनाने का मेरा तरीका आपको पसंद आया होगा।
Nakshatra in Vedic Astrology के लेखक— राजीव सरस्वत
राजीव सरस्वत एक प्रसिद्ध ज्योतिष लेखक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं, जो वैदिक ज्योतिष को आधुनिक सोच और मानवीय भावनाओं के साथ जोड़ते हैं।
उनका उद्देश्य है कि हर पाठक ग्रहों, अंकों और संकेतों के माध्यम से अपने जीवन की दिशा को बेहतर समझ सके।
संपर्क करें:
LinkedIn : https://www.linkedin.com/in/rajeev-saraswat-19b568122/
:Instagram: https://www.threads.com/@astrowonderrbits